Monday, October 26, 2009

शायरी

नजरे फेरे खडे थे हम उनसे, जैसे जिंदगी से मुकर गये ।
जिंदा रहने की शर्त है सांसे, हम सांस लेना ही भूल गये ।
देखना चाहते थे जी भर के उन्हे, पर एक दिदार ना हो सका ।
सामने खडे थे वो हमारे, हम पलकें उठाते ही रह गये ।
बे-इंतीहा मोहोब्बत है उनसे, क्या उन्हे ये मालूम नही ।
कम्बख्त एक गिला क्या हुआ हमसे, हमे वो अकेला छोड गये ।
जाके कोइ उन्हे ये बता दे हमदम, हम नही औरो की तरह बेवफ़ा ।
उन्ही के दिखाये रास्तेपर, हम चलते ही रह गये ।
-हर्षल श. नेने

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